!! हर का भगत हरदासजी !!
हर शिवजी रो ऐक दूजो नांव अर हर मोटा देव, ब्रह्मा विष्णु महेश तीनों देव जोङासूं जाणिजै, इंयां तो संसार में ऐक सूं ऐक टणका भगत हुया है अर भगवान वां भगतां री मनसा पूरण कीवी है अर भगवान भगत रे आधीन भी हुया है ! पर शिवजी री अर शिवजी रा भगतांरी महिमा न्यारी निराऴी अर अजब अलबेली है !!
शिव समान दाता नहीं, बिपत्ती बिडारण हार !
लज्जा मोरी राखियो, बैलन का असवार !!
शिवजी भोऴेनाथ है रीझ में सबसूं बङा अर ऐक लोटा पाणी सूंही राजी, इण वजै शिवजी रा संसार मे अनेक नामी भगत हुया जिणमे रावण भी मोटो भगत शिव तांडव स्त्रोत्र री रचना करी जो भगती रो मोटो आधार बणियो, मेवाङ राज रा महाराणा भी शिवजी रा दीवाण बण गादी बिराजता हा, विषय बहुत बङो है भगतां री संख्या भी घणी है अर चारण जाति मे भी बङा भगत घणां हुया है आं भगतां री उजऴी ओऴ में हर का भगत हरदासजी मिसण बोगनआई भी हुवा है जिकां रो भगती रे साथै दातारी मांयभी आपरो नाम अर जस उजाऴियो है !!
जैसाणां राज री सीमां में मीसण चारणां रो गांव बोगनआई जठै अचऴदानजी मीसण रो रैवास अचऴदासजी भी नामी भगत, भगती में तलीन अचऴदासजी री जोङायत, (ईसरा परमेसरा रो बिरूद धारण करणियां महान भक्त अर श्री संत ईसरदास जी रोहङिया बारहठ भादरेश री बैन हा)
दोनां ही तरफां भगती री अविरल धारा बैवती ही, उणीज नामी परिवार रे मांय हरदासजी रो जन्मजोग बणियो अर आपरा पिताश्री अर आपरा नानासा, मामोसा री सीख संस्कारा रो असर आय जीवन भगती अर कवित शक्ति भी बढती गई अर कर्म रो क्षैत्र भी बढतो गयो समै आयां हरदासजी खारोङे देथां रे घरै तोरणमान परणिज्या अर जोङायत भी सुगणा सुलखणा आया जिणसूं संस्कारा बधापो बापरियो !!
हरदासजी रो जोगानजोग आमेर राजा जी मान सिंहजी सूं मिलणो हुवो, मानसिंह ने हरदासजी दोय दोहा सुणाया-
!! दोहा !!
बलि बोई कीरत बेल, करण करी दुय पात !
सींची मान महिप ने, देखि जब कुम्हलात !!
सूरजवंश बिनु कौन करे, ऐसो दान प्रदान !
रामलंक अर मान दई, काबुल जीति प्रदान !!
दोहा सुण राजा मान रीझीया ने हरदास जी ने दस लाख पसाव ऐकण साथै बगसिया हर का भगत हरदासजी री नजर में ओ भौतिक द्रव्य कांई मानता नी राखतो हो अर संजोग सझियो के उठैई ऐक रावऴ जाति रो कवि कलंग आयोङो हो, सो हरदासजी जीवणै हाथ दरब लेय डावोङे हाथ कलंग कवि ने दान मे देय दियो कलंग कवि हरदासजीरी प्रशस्ति में ऊंचा भावांरो ऐक दोहो आशुरचित सुणायो !!
!! दोहा !!
दान पाय दोऊंई बढे, ऐक हरि एक हरनाथ !
उन बढ डग लंबे किए, इण बढ लम्बा हाथ !!
अर्थातः…… दान पाय र दोय जणां ई प्रकाशित हुया है ऐक तो वामन अवतार में भगवान विष्णु अर बीजा हरदासजी मीसण, पण भगवान श्री हरि विष्णु तो आघा बढर पांव ऊंचा करिया हा (पिरथी नापण नै) पर हे हर का भगत हरदास आप तो आघा बढर हाथ ऊंचा कर दान दियो !दस रा दस लाख दान मे दीधा जियां लीया बिंया ई दीया ऐहङा मोटा दानी मीसण हरदास हर का भगत हरदास जी जीवित समाधी लीवी संत भगत अर दानी हरदासजी मीसण रा कई ग्रंथ भी बणायोङा है, जिंया जाऴन्धर पुराण, भृंगी श्रृंगी पुराण, सभा रस पर्व आदि पर ऐ अभी म्हांरै दीठ में तो नही आया है आगे कदैई जोग बणै तो बीजी बात ! ऐसे महान संत भगत अर दानी कीरत रा कमठाण हरदासजी ने शत शत नमन कोटि कोटि वंदन !!
!! दोहा !!
हर हर कर हरदासिया, ऐह वङो अभियास !
वऴै न दूजी वारङी, जणणी उदर निवास !!
ऐसे प्रातः स्मर्णिय हरदासजी को कोटिशः प्रणाम व वंदन है !!
~राजेंन्द्रसिंह कविया संतोषपुरा सीकर !!