“Ulwar and its Art Treasures”
By T. Handley. Surgeon Major
अर्थात- अलवर के संग्रहालय में आज भी ऐक तलवार की मूंठ पर सोनेरण (स्वर्ण) भाग पर माँ सा करनी जी के दो एतिहासू दोहे ऊत्कीर्ण किये हुये हैं, जिनकी वजह से अलवर अधिप बख्तावरसिंहजी प्राण रक्षा से उबरे थे !!
!! दोहा !!
धम धम बाग त्रमांगऴां,
हुवै नकीबां हल्ल !
सादां आवजे संभऴी,
किनियांणी करनल !!
बाढाऴी बहतांह,राढाऴी त्रम्मक रूङै !
साढाऴी सहतांह, डाढाऴी ऊपर करै !!
जय हो माँ मावङी भव भय भंजनी असुर उखाङनी, भक्तवत्सल भगवती करनल किनियांणी का प्रातः स्मरण सर्वमंगलमय है, सब का कल्याणकारक है !!
~राजेन्द्रसिंह कविया संतोषपुरा सीकर !!