ए-मेरे भाई वों कौन थी? (रणदेव कृत)
ये हर उस बेटे से एक बहिन(बेटी) का सवाल हैं जिस बेटे ने अपनी माँ को बुढापें में छोड दिया।
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ए-मेरे भाई वों कौन थी?तेरे बचपन में,
जब तूँ चहकता था तेरे लडकपन में,,
जब तूँ चहकता था तेरे लडकपन में,,
आँखे थी काली, थी आवाज सी नग़मा,
जब आती तो पायल बजती थी पगमा।
उस आवाज को सूँन तूँ मुस्कराता था,,
तेरी जान बसती जिसके रग- रग मा।।
जब आती तो पायल बजती थी पगमा।
उस आवाज को सूँन तूँ मुस्कराता था,,
तेरी जान बसती जिसके रग- रग मा।।
ए-मेरे भाई वों………………… 1
जिसके थे बडे काले -लम्बे से बाल,
तुझे देख खिलाती थी वों अपने गाल।
जिसके माथें में लगी रहती बिंदिया,,
निरंतर लगी रहती तुझे करनें को निहाल।।
तुझे देख खिलाती थी वों अपने गाल।
जिसके माथें में लगी रहती बिंदिया,,
निरंतर लगी रहती तुझे करनें को निहाल।।
ए-मेरे भाई………………………2
हम दोनों ही जन्में हैं उसकी दुहाँ से ,
उसने हमको पाला हैं इस जहाँ में।
जिसके बगैर तूँ रहता न था अकेला,,
ए-भाई आज वों इस जग में कहाँ हैं।।
उसने हमको पाला हैं इस जहाँ में।
जिसके बगैर तूँ रहता न था अकेला,,
ए-भाई आज वों इस जग में कहाँ हैं।।
ए – मेरे भाई वों …………………. 3
उसकी बगियां में तूँ फूल और मैं फली थी,
तुझे तो महकना था मैं कहीं ओर चली थी।
जबकी उसने हमारे लिए खाये थे शूल,,
बाहर से रहती निराली अंदर से जली थी।।
तुझे तो महकना था मैं कहीं ओर चली थी।
जबकी उसने हमारे लिए खाये थे शूल,,
बाहर से रहती निराली अंदर से जली थी।।
ए -मेरे भाई वों …………………. . 4
मेरे बडी होनें पर भेंज दिया था ससुराल,
मूझें बताना मेरे भाई उसके क्या हैं हाल।
उसके चेहरे पर झुर्रियां होगी अब शायद,,
जिनसे तूँ बचपन में करता था सवाल।।
मूझें बताना मेरे भाई उसके क्या हैं हाल।
उसके चेहरे पर झुर्रियां होगी अब शायद,,
जिनसे तूँ बचपन में करता था सवाल।।
ए -मेरे भाई वों…………… …….. 5
ए – स्नेहमयी भाई मेरे तूँ जब जन्मा था,
तेरे जुबां से पहलें उसका नाम सूनना था।
तूँ अब बडा होंकर कहीं भूल तो न गया,,
बचपन में सिर्फ मेरी – मेरी कहना था।।
तेरे जुबां से पहलें उसका नाम सूनना था।
तूँ अब बडा होंकर कहीं भूल तो न गया,,
बचपन में सिर्फ मेरी – मेरी कहना था।।
ए -मेरे भाई वों…………. ………. 6
ए मेरे-प्यारे भाई वों तेरे कुछ लगती तो नहीं हैं,
सुखी-जली रोटी अबभी कहीं खाती तो नहीं हैं।
*जरा देख आ उसघर को जहाँ बचपन बिता हैं,
हैं कैसी वों सुरत जो कहती भुख आती तो नहीं हैं।।
सुखी-जली रोटी अबभी कहीं खाती तो नहीं हैं।
*जरा देख आ उसघर को जहाँ बचपन बिता हैं,
हैं कैसी वों सुरत जो कहती भुख आती तो नहीं हैं।।
ए – मेरे भाई वो………………….7
बता ए-भाई वों आश्रम कहीं मंदिर तो नहीं,
बुढापें में कहीं वों तेरे सहारे से दुर तो नही।
तूँने तो बचपन में खुब लाड – सपनें दिखायें,,
कहीं भाई तेरे बडे होनें पर भी भूखी तो नहीं।।
बुढापें में कहीं वों तेरे सहारे से दुर तो नही।
तूँने तो बचपन में खुब लाड – सपनें दिखायें,,
कहीं भाई तेरे बडे होनें पर भी भूखी तो नहीं।।
ए – मेरे भाई वों…………….. ….. 8
उसने कभी ये नहीं सोचा होगा ए-मेरे जानी,
की बुढापे में उसकों ठोकरें ही होगी खानी।
आज भी वों खफां नहीं,चाहती तेरी रहमतें,,
रहती सदा आशा में तूँ बनजा उसका सानी।।
की बुढापे में उसकों ठोकरें ही होगी खानी।
आज भी वों खफां नहीं,चाहती तेरी रहमतें,,
रहती सदा आशा में तूँ बनजा उसका सानी।।
ए-मेरे भाई वों…………………….. 9
उससे आखिर क्या स्वार्थ और ताल्लुकात हैं,
लेकर भूलना भाई क्या तुम्हारा जन्मजात हैं?
उसने तेरे बचपन में तुझको क्या नहीं दिया,,
जों बुढापे में अकेला करना तेरा कस्मात् हैं।।
लेकर भूलना भाई क्या तुम्हारा जन्मजात हैं?
उसने तेरे बचपन में तुझको क्या नहीं दिया,,
जों बुढापे में अकेला करना तेरा कस्मात् हैं।।
ए – मेरे भाई वों………………….. 10
ए-मेरे भाई वों कौन थी?तेरे बचपन में,
जब तूँ चहकता था तेरे लडकपन में,,
जब तूँ चहकता था तेरे लडकपन में,,
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रणजीत सिंह चारण “रणदेव”
राजसमंद, राजस्थान
मोबाईल नम्बर-7300174927