Thu. Nov 21st, 2024
जय श्री करणी माँ, जय लुंग माँ, 
जय सोनल माँ
उदयपुर कन्या चारण छात्रावास के लिए कविता
हें शिक्षा न्यारी, हें सब को प्यारी,
कहीं-कहीं होती इसकी बंटवारी।
देखी मैंने भेदभाव की मनमानी,,
वें कहां जाये गरीब बेटियां सारी।।

इसलिए नींव लगी हैं, 
अब हों सभी का प्रयास।
आओं हम सहयोग करें, 
ताकि पुरा हों छात्रावास।।
 
कदम – कदम दिख रहीं हैं,
आंखों में नमता भर रही हैं।
हर बेटी पढना चाहती हैं पर,
स्कुल दूरी बेटीकों घट रही हैं।।

हम सभी उन बेटियों की 
शिक्षा का बनायें निवास।
आओं हम सहयोग करें,
ताकि पुरा हों छात्रावास।।
 
जहां बेटियां सदा मिलकर रहें,
अपनें मात-पिता का नाम करें।
जहां समय शिक्षा में लगाकर के,
अपना जीवन सभी साकार करें।।

इसलिए बनें रायथान का, 
अनौंखा प्यारा आवास।
आओं हम सहयोग करें, 
ताकि पुरा हों छात्रावास।।
 
बेटी भी शिक्षा का आधार बनें,
समाज की बेटी खुशहाल रहें।
आयें न कोई उसको दिक्कत क्योंकि,
हम मात्रशक्ति की संतान रहें।।

इसलिए आओं हम 
बेटी के लिए कुछ करें प्रयास।
आओं हम सहयोग करें, 
ताकि पुरा हों छात्रावास।।
 
ये आशाएँ मेरी भी कहती हैं,
भविष्य में हमकों फल देगी।
रहें समाज की बेटी सुरक्षित,,
वह बेटी समाज पे गर्व करेगी।।

और अपनी देवी माँ 
हम पुत्रों पे न होगी निराश।
आओं हम सहयोग करें, 
ताकि पुरा हों छात्रावास।।
 
जों अपने को देवी चारण कहता,
उस शक्ति का अंश बन बहता।
दिया सब कुछ उस अम्बे का फिर
क्यों इस नींव में नजरें हटायें रखता।।

बेटों के कितने ही हैं “रण”
अब बेटियाँ भी न हों हताश।
आओं हम सहयोग करें, 
ताकि पुरा हों छात्रावास
 
रणजीत सिंह रणदेव चारण
मुण्डकोशियां, राजसमन्द
व्हाटसप न – 7300174927

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