Fri. Nov 22nd, 2024
श्रीदेवल माता सिंढायच
 
   देवल माता का जन्म पिगलसी भाई ने सवंत १४४४ माघ शुद्धी चौदस के दिन बताया गया हे  लेकिन वि सं 1418 में घडसीसर तालाब की नींव इन्होने दी थी जिसका शिलालेख वहां मौजूद है। ऐसा उल्लेख जैसलमेर की ख्यात व तवारीख में आता है।अत इस प्रकार इनका जन्म 14 वी शताब्दी में होना सही लगता है। देवल माता हिंगलाज माताजी की सर्वकला युक्त अवतार थी ! देवल माता ने भक्त भलियाजी और भूपतजी दोनों पर करुणा कर के एक के घर पुत्री और दुसरे के घर पुत्र वधु बनकर दोनों वंश उज्जवल किए ।इनका जन्म माडवा ग्राम भलियेजी सिन्ढायच के यहाँ हुवा था इनकी माता का नाम वीरू आढी था जो करणी माता की मां देवल आढी की सगी बहिन थी इनका ससुराल खारोडा ग्राम और पति बापन जी देथा थे ।मैया ने भक्तो के हितार्थ गृहस्थी धर्म पालन किया देविदास , मेपा, खींडा आदि देथा शाखा के चारण मैया के पुत्र थे ।बूट , बेचरा , बलाल, खेतु, बजरी , मानसरी एवं पातू ये पुत्रिया थी ।
एक बार जैसलमेर राजा गड़सी को भयंकर रोग हो गया था , इनकी पीड़ा मिटाने के लिए मैया खारोडो से माड़ प्रदेश होकर पधारी थी ! उस समय माड़ प्रदेश मे पानी की विकट समस्या थी ! मैया ने अपने तपोबल से सुमलियाई आदि ग्राम मे दस फ़ुट जमीन खोदन पर अथाह स्वच्छ जल होने का वरदान दिया था ! ऐसे अनेक चमत्कार बताते हुवे मैया ने गड़सी राजा को असाध्य रोग से छुटकारा दिलाया , तब राजा ने प्रसन्न होकर अनेक ग्राम ३६ लोक बगसिस करने का मातेश्वरी से निवेदन किया , तब मातेश्वरी ने सिर्फ़ ३६ लोक भक्त ही स्वीकार किए ! और राजा से प्रजा हित मे गड़ीसर नामक तालाब बनाकर उसमे हिंगलाज मैया का मन्दिर बनाने का आदेश दिया ! अभी वर्तमान मे जो गड़ीसर तालाब के अन्दर जो हिंगलाज मन्दिर बना हुवा हे , वो देवलजी का ही बनाया हुवा हे ! क्योकि वो मन्दिर हिंगलाज के नाम से ही बना हुवा था ! देवल मैया ख़ुद हिंगलाज की साक्षात् अवतार थी !
महामाया का स्मरण करना , सत्य बोलना , उतम सलाह देना , प्रजा हितेषी कर्म चारणों का कार्य व पहचान हे !
देवल माता का देवलोक गमन पिगलसी भाई के अनुसार सवंत १५८५ आषाढ़ सूद चौदस बताया गया है।जिस तरह करणीजी की राठौडों में एवं आवडजी की भाटियों में में श्रद्धा है उसी तरह देवल माता की सोढा राजपूतों विशेष श्रद्धा है।
जय मां देवल
जय खारोडाराय


By admin

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *