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आदरणीय सर्व श्री चारण समाज आज क्रांतिकारी बलिदानी केसरीसिंह की पुण्य तिथि है, मैं उस वीर क्रांति को मेरे इन श्ब्दों से श्रद्धांजली दे रहा हूं स्वीकार करावें।

केसरी नमन
हे ! वीर क्रांति देश प्रेमी, केसरी तुझको नमन ।
बलीदान तेरा अमर रहे, स्वीकार हो श्रद्धा सुमन ।।

हिल गया था शत्रुए- भारत, फिरंगी तुझ वार से।
कर दिखाया शीष ऊंचा, मुक्त मातृ भार से।
रच दिया इतिहास अनुठा, लहू की उस धार से।
भूल कैसे पायेंगे हम, शहीद शेर तेरा स्मरण।।
बलीदान तेरा अमर रहे….।।1।।

युं तो गाथाएं इतिहास गौरव, किस्से भी अनेक हैं।
पर परिवार पूरा झोंकने वाला, तू वीर क्रांति एक हे।
हुए थल थल उथल पुथल शत्रु, तेरे संग्राम की रेख से।
लांछन गुलामी लग ना पाए, था शूरवीर तेरा सच्चा स्वप्न।।
बलीदान तेरा अमर रहे ……।।2।।

अंग्रेजों ने चाल चली, दिया फूट का फरमान था।
भ्रमित ना हों भारतीय मेरे, यह बड़ा अरमान था।
तेरी वीरता आगे विवश, हर कोई कुरबान था।
क्या मजाल ! करे साहस, कोई नाबूद हिंन्द का चमन।।
बलीदान तेरा अमर रहे…..।।3।।

आज ललकार शत्रु कर रहा, वार करता बेरहम ।
लाल माताओं के कटते, पीर गहरी गहरा ज़ख्म ।
कुंठित जुबां बेबस जवाँ, बन रहा शाशक नरम।
तू केसरी कब आएगा, धुंधला हुआ भारत दर्पण।।
बलीदान तेरा अमर रहे….।।4।।

आ ! लौट आ, वीर अमर, माताओं की पुकार सुन।
गौवध अत्याचार को कर देना बारहठ दमन।
कयों? भ्रांति तेरे कुल पले, देव चारण में अगन ।।
नाद क्रांति बजा केहर, संभव सच्चा तब तर्पण।।
बलीदान तेरा अमर रहे……।।5।।

तेरे बिन तेरा चारण, बिन कारण करता विवाद।
दिव्य शक्ति, देश भक्ति, काव्य युक्ति, लूट ली आलस प्रमाद।
था एक्ता की डोर बंधा, अब खुल गई फीका स्वाद।
पुनः डोर बंधन बांध केहर, कर एक्ता वही अर्पण।।
बलीदान तेरा अमर रहे…….।।6।।

खड़े प्रताप, शिवाजी साथ तेरे शुभाष सीना तान के।
फिर कयों विलंब करे केहर, सुरतहाल सब जान के।
सबका वंदन काट बंधन, मैया के फरमान से।
हम साथ तेरे समाज चारण, आतुर तेरे आगमन।।
बलीदान तेरा अमर रहे……।।7।।

अष्ट चक्र वक्र भेद बारहठ, मुक्त कर मैया समाज।
डगर डगर सुनसान है, धुमिल हुआ चारण इतिहास।
तेरे बिना ना भेद पाए, सुलझाए आपस विवाद।
अमरापुर से अवश आना, विनती सुन वीर वंदन।।
बलीदान तेरा अमर रहे……।।8।।

लोभ में युं लिप्त चारण, तोड़ रिश्ते तड़प रहा।
ससुराल मे सह बैटियों का, दहेज़ वश दिल धड़क रहा।
लांछन लम्पट लोभियों से, जीव अबला फड़क रहा।
करदे निवारण केसरी, नम चक्षु ।।9।।

“आहत” नमन।।
बलीदान तेरा अमर रहे, स्वीकार हो श्रद्धा सुमन….हे !
वीर क्रांति देश प्रेमी, केसरी तुझको नमन….

विनीत आशूदान मेहड़ू “आहत” जयपुर राज.

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