म्हे मेहड़ू पारकरा, धरा प्रथम सुं ध्येय।
झुकण, रुकण जाणां नहीं टणकी
सिंहाँ टेव।।
~आशूदानजी मेहडू
कलिंगर आंजस करो,
आंजसे महेडू आज।
विशोतेर आंजस करो,
राज थकी धनराज।।
~धनराजजी मेहडू (प्रेषित-भवरदान मेहडू)
म्हे मेहड़ू पारकरा, धरा प्रथम सुं ध्येय।
झुकण, रुकण जाणां नहीं टणकी
सिंहाँ टेव।।
~आशूदानजी मेहडू
कलिंगर आंजस करो,
आंजसे महेडू आज।
विशोतेर आंजस करो,
राज थकी धनराज।।
~धनराजजी मेहडू (प्रेषित-भवरदान मेहडू)