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मान वधारण महीपर- श्री खेतदानजी बारहठ भादरेस

मान वधारण महीपर, जाबक चारण जात।
धन धन डिणसी धाम धर, मेहड़ू चँपा मात।
भगती भरीज भावना, खास गुरू खेतेश।
गीता रामायण ज्ञान ग्रह, हरिरस पाठ हमेश।
पीहर मेहड़ू प्रणमे, संढायच ससुराल।
महाघण पुजै मुल्क रा, विशहथी विरदाल।
ईश्वर भक्ति शक्ति ईला, प्राणी मात्र कर प्रेम।
मात चँपा साक्षात मही, नित निभायो नेम।
मेकेरी मंदिर मात रो, पुजारी कुल पात।
चँपा अवतार चामुण्डा, जग उजवाली जात।
विशहथ टाले विपदा, हेले हाजर होय।
सुख संपत आपे सदा, मात भवानी मोय।
सुख समापण सेवगां, कापण दुख कलेश।
चँपा करणी चारणां संग, खुश राखे खेतेश।

खेतदानजी बारहठ भादरेस)

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