Sat. Apr 19th, 2025

गरमी भीसण गजबरी,सिरपर रखिये साल।
छक कर पीवो छाछने,रखिये साथ रुमाल।।१
गरमी भीसण गजबरी, खाणी अलप खूराक।
पाणी ज्यादा पीवणो, छोड दिराणी छाक।।२
गरमी भीसण गजबरी,खाणा नित खरबूज।
खस खस मिसरी खोपरा,ताजा फल तरबूज।।३
गरमी भीसण गजब री, पिया अरोगो प्याज।
कैरी. गूंदा काकडी,सबजी खाणी सांझ।।४
निरमल छांयां नीमरी,बड पीपल तरु बेल।
आडा दरखत आवसी, फेन हुआ सबफेल।।५
आतपमे फिरणो अधिक,ब्लड प्रैसर मे बेर।
भूल न बिरथा भटकणो,भडतपती मे भे र||६
गरमी भीसण गजबरी,मद तज देवो मोह|
सामिस भोजन इण समय, आंतडियो अबकोह।।७
गरमी भीसण गजबरी,न्हाणो निरमल नीर।
पोदीनो रस पीवणो,साजो रहे शरीर।।८
इमली निम्बू आमरस,नित पीणो नालेर।
मझ गरमी रे मांयने,कंत अरोगो कैर।।९
बील. सोंफ अर बांसरस, रहे निरोगो डील।
प्रात समय जल पीवणो. गरमी मे गुडफील।।१०

~मोहनसिंहजी रतनू 

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