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महमाया चम्पाबाई माँ सुजस।

।।दोहा।।
शुध बुध दे चम्पा सगत, कुमत टाल करनल्ल।
भगत सुजस भणै भमरो, उकत समपो अवल्ल।
पारकर धन्य वा प्रथमी, तहां चम्पाआई अवतार।
मोद करै वर्ण मेहड़ू, संढायच कुल सार।
संवत ऊनीसो सही, पचहतरो परमाण।
श्रावण शुधी एकादशी, जन्मी चम्पा जांण।
अम्बा सधर अराधना, जगतम्बा कर जाप।
भुजलम्बा कर भगती, छती चम्पा धर छाप।
विक्रम शैष दोय वणी, साल पिचपन सुजान।
आषाढ शुध एकादशी, पहुमी कियो प्रयान।
चम्पाबाई धन धन चारणी, अवन पारकर आय।
महागण वर्ण मेहड़ू, जहां शरण जगराय।
इण कुल में हुवी ज अगै, नव सगतां निरमान।
आई जात उजालवा, मधुकर कहै महान।

छंद त्रिभंगी
मोहवृत सुमानी, मान सुजानी, मेहड़वानी, मेहड़ानी।
किकयी कमठाणी, जेतल जानी, केशर कुल मणी कहलानी।
चम्पा सोहगानी, इल मधु आनी, नव सगतानी निरखाई।
चारण कुल चम्पा, काट कुसम्पा, सुख दे सम्पा, सुरराई।
माँ मधुकर दुख हर महमाई,
वेणल विधवानू, तात तमानू, मात बखानू धनु मानू।
चारण कुल चानू, मही मेहड़ानू, जन्म धरानू जग जानू।
अवनी पर आनू भाव भरानू, सगत सयानू सुखदाई।
चारण कुल चम्पा, काढ कुसम्पा, सुख दे सम्पा सुरराई।
माँ मधुकर दुख हर महमाई।
श्रावण शुकलानग, एक दशानग, तिथ वरतानग, थिर थानंग।
संमत उगणानग, विगत वतानग, पिचतर तानग, परमानग।
धनु कोख धरानग, इल पर आनग जन्म धरानग, जगराई।
चारण कुल चम्पा, काढ कुसम्पा, सुख दे सम्पा सुरराई।
माँ मधुकर दुख हर महमाई।
बालक वण बानम, हेत जतानम, हरी रस पानम, हरषानम।
गीता पढ ग्यानम, वेद वचानम, बोध बतालम, विगतालम।
धर नवलख ध्यानम, पाठ पढानम धर्म थपानम, धर आई।
चारण कुल चम्पा, काढ कुसम्पा, सुख दे सम्पा सुरराई।
मां मधुकर दुख हर महमाई।
पारकर उण पेरी, धाट धरेरी, सिंध सजेरी सरसाई।
डिणसी भल डेरी, तबै तजेरी, करी न देरी, कमखाई।
चम्पा नगरेरी, वास वसेरी, बीकानेरी बगसाई।
चारण कुल चम्पा, काढ कुसम्पा, सुख दे सम्पा, सुरराई।
माँ मधुकर दुख हर महमाई।
ग्रहस्थी अपनाया, पती संग पाया, मान बधाया, महमाया।
चारण कुल चाया, सदा सहाया, सुपथ बताया, समझाया।
गुण मधुकर गाया, समर सदाया, भाव भराया, भगताई।
चारण कुल चम्पा, काढ कुसम्पा, सुख दे सम्पा सुरराई।
मां मधुकर दुख हर महमाई।

छप्पय
किया चांपल शुध काम, नाम रिया नव खण्डा।
जप माला अठ जाम, चाम विया चामुण्डा।
संढायच गती सांम, पती रांणल प्रखण्डा।
धरा गिया सुर धाम, वास वसे व्रहमण्डा।
अमर नाम कर आपरा, बापरा विर्ध वधाविया।
पाप हरण मधुकर पुनी, बिठू जाप विरदाविया।

—मधुकर माड़वा जेसलमेर

By admin

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