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आई चंपाबाई के जीवन पर आशूदानजी मेहड़ू द्वारा दोहे

श्रद्धा सुमन

।। दोहा ।।
पारकर मैया प्रगटी, देवी चारण दीप।
“धनु” कोख धन्य अहो, पिता “वाघ” विदित।।1

मेहड़ू कुल मातेश्वरी, माँ चालक धीव “चम्पा”।
सगत रूप सिरोमणि, अवतरी अम्बा।।2

गाँव डींडसी डंको गजब, अजब परचा अथाह।
महु सासरे मैया चम्पा, प्रगटि ज्योत जथाह।।3

पति “राण” प्रमार्थी, स्मरे सगत स्दैव।
अन जल यश अपार भयो, चम्पा कृपा चहुंमेव।।4

किस्तूरी, कंचन, कल्ला, दिखतां हि दर्शाय।
तेज आई तवरित, सिंहढायच घर न समाय।।5

चारण पुत्री चम्पा, तप किनो सह त्याग।
दिना परचा दुखियां ने, भय, दारिद्रय जड़ भांग।।6

कुल चारण उबारण चम्पा, आई लियो अवतार।
जिका आर्त शरण आया, किना बेड़ा पार।।7

कित जाइ, कित निपनी, मकेरी माँ आज।
कर जोड़ कीरत करे, सगत सगलो राज।।8

नव भान्त नमन करूं, धरूं आई तोर ध्यान।
चरण शरण “चम्पा” मैया, एक साथ दीजे “आशूदान”।।9

।।सौरठा।।
मकेरी जद मात, भ्ई अलोप रूप भवानी।
ऊंडो चारण आघात, मैया लगो मातृत्व रो।।1

छुरू करे विलाप, इन्द्र आन अखियन बसयो।
टणको विधाता ताप,सहन कियां सगला करसी ।।2

छोरु कुछोरु होत, मात कदे न सुणी मावड़ी।
तूं जस रा गाडा जोत, आई तरछोड़ अलोप भ्ई।।3

घर घर करे गोत, अम्बे छोरु आपरा।
अब आई चम्पा ओट, कठे लेवे चारण लाडला।।4

थुं थारो बिर्द संभाल, मम अवगुण तज मैया परा।
थारो पहलो हेत पाल, एकर फेरुं आवजे।।5

नम आंख्यां नमन करुं, चम्पा चेतन रुप।
श्रद्धा सुमन चरणन धरुं, “आशू” बुद्धि अनुरुप।।6

~आशूदान मेहडू जयपुर

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