भारतवर्ष के बीकानेर जिले का चंपानगर ग्राम (5एमकेएम, मकेरी) जगदम्बा स्वरूपा अवतार आई श्रीचंपाबाई माताजी के आशीर्वाद से संपूर्ण सनातन जगत में आई माताजी के सौंवे जन्मोत्सव आयोजन को लेकर वर्तमान में विशेष आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। चंपानगर आई श्रीचंपाबाई माताजी की दिव्यशक्ति एवं सेवा समर्पित तपोबल से समस्त चारण समाज की विशेष आस्था को राष्ट्रीय स्तर पर एक महत्वपूर्ण सेवाधाम के रूप में प्रदर्शित करता है। आई श्रीचंपाबाई माताजी का शुभ अवतरण श्रावण माह, शुक्ल पक्ष एकादशी विक्रम संवत 1975 को ग्राम डीनसी, जिला थारपारकर, प्रान्त सिंध, पाकिस्तान में हुआ था। सूर्योदय के तेज के समान ही आई माताजी का बाल्यकाल भक्तिमय रुचि से ओतप्रोत था। मात्र तेरह वर्ष की आयु में आई माताजी ने सिद्धपुरुष श्री खेतारामजी को गुरु बना कर विभिन्न धर्म गर्न्थो यथा गीता, रामायण, वेद, हरिरस आदि का नियमित एवं विधि-विधान पूर्वक पाठन करना प्रारंभ कर दिया था। अपनी हथेलियों पर चिड़ी-कबूतर पक्षियों को चुग्गा खिलाना आई माताजी के नित्यकर्म में शामिल था। आई माताजी का विवाह श्री राणीदानजी सिंहढ़ायच, निवासी मऊ, जिला थारपारकर, प्रान्त सिंध, पाकिस्तान के साथ सम्पन्न हुआ था। आई माताजी ने अपने पति को परमेश्वर मान कर गृहस्थ जीवन में भी प्रभु भक्ति को नियमित रखा। श्री आई माताजी ने अपने गृहस्थ जीवन का पालन करते हुए असंख्य सेवकजनों के दुख-दर्द दूर कर मानवधर्म को ईश्वरीय स्वरूप की संज्ञा प्रदान की। 1971 की भारत-पाक युद्ध विभीषिका के चलते परिवार के साथ पलायन कर आई माताजी ने कुछ वर्ष तारिसरा, बाड़मेर में बिताये। 1987 में आई श्रीचंपाबाई माताजी परिवार सहित बीकानेर जिले के नहर क्षेत्र आबादी 5 एमकेएम (वर्तमान नाम चंपानगर) में आकर बस गये। अपने अस्सी वर्ष के दीर्घायु सेवाभावी जीवन पालन के पश्चात मार्गशीर्ष माह, शुक्ल पक्ष एकादशी, विक्रम संवत 2055 को आई श्रीचंपाबाई माताजी देवलोक प्रस्थान कर गये। देवलोग गमन से ठीक एक माह पूर्व आषाढ़ माह, शुक्ल पक्ष एकादशी को आई श्रीचंपाबाई माताजी ने समस्त चंपानगर ग्राम वासियों को बुला कर अपने देवलोक प्रस्थान करने की तिथि बता दी थी। श्रीचंपाबाई माताजी द्वारा प्रदत वचनों के फलस्वरूप चंपानगर के आस-पास के क्षेत्र में आज तक अकाल नहीं पड़ा है। लोग खुशहाली का जीवन जीते है। साक्षात ईश्वर मूर्ति एवं जगदम्बा स्वरूपा आई श्रीचंपाबाई माताजी ने न केवल चारण समुदाय वरन समस्त हिन्दू समाज को प्रभुभक्ति, दया धारण, परोपकार कार्य, सतत मानवसेवा एवं परिवार सम्मान जैसे महत्वपूर्ण गुणों को अंगीकार करने की सार्वभौमिक शिक्षाएँ प्रदान की। आई माताजी का जीवन सादगी और सरलता से परिपूर्ण रहा। राजस्थान के बीकानेर, जैसलमेर, जोधपुर, बाड़मेर जिलों सहित उत्तर गुजरात के बड़े क्षेत्र में आई श्रीचंपाबाई माताजी के असंख्य सेवक एवं भक्तगण निवास करते है। आगामी श्रावण माह, शुक्ल पक्ष एकादशी, 22 अगस्त 2018 को आई श्रीचंपाबाई माताजी का सौंवा जन्मोत्सव आई माताजी के सेवाधाम चंपानगर (5एमकेएम-मकेरी), जिला बीकानेर में बड़े धूम-धाम पूर्वक मनाया जा रहा है। आई माताजी के जन्मोत्सव सुअवसर पर “धाट-पारकर चारण समाज प्रतिभा सम्मान समारोह” भी आयोजित होने जा रहा है। आई माताजी के जन्मोत्सव आयोजन में अनेक आई माताजी भक्तगण पहुंचेंगे। निमंत्रण के इसी क्रम आप सभी चारण बंधुजन आई श्रीचंपाबाई माताजी के सेवाधाम पर 22 अगस्त 2018 को सादर आमंत्रित….आप अवश्य पधारें।
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संकलन एवं आलेख :
*करणीदान चारण पूगल*
*+919414226931*
जय आई श्रीचंपाबाई माताजी।