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*सम्मानित बंधुजनों*
*जय माताजी सा !*
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हम समस्त धाट-पारकर बंधु एक बड़े परिवार के स्नेही एवं अविभाजित सदस्यगण है। ऐसे में, हम सभी आपस में, सुख और दुःख दोनों परिस्थितयों में सहभागी है और साहचर्य भी है।
जिस प्रकार जल एक लाठी के प्रहार से विभाजित नहीं हो सकता उसी प्रकार हमारा सहअस्तित्व भी किन्ही भी अपरिहार्य परिस्थितयों में विभाजित नहीं हो सकता है।
इस तथ्य को हमें जिम्मेदारी के साथ समझने की जरूरत है।
ऐसा कौनसा समाज है, जहाँ दिक्कतें नहीं है। प्रत्येक समाज अपनी विकटतम परिस्थितयों से उबरने हेतु धैर्य और सत्यनिष्ठा को हर हाल बनाये रखते है। हमें भी अपनी सामाजिक अव्यवस्था और व्यक्तिगत अनियंत्रता में कुछ बेहतर करने और कुछ अच्छा होने की आस को नहीं खोना चाहिए।
मैं, हमारे समस्त उद्घोषित सामाजिक नेतृत्व के साथ, हमेशा से ही आग्रह करता रहा हूँ कि, हमें अपने धाट-पारकर चारण समाज के आपसी स्नेह और आवश्यक प्रगति मूल्यों को पुनर्स्थापित करने के लिए सयुंक्त और संस्थागत प्रयासों को आजमाना चाहिए ताकि सभी बंधुजनों को उनकी व्यक्तिगत प्रतिबद्धता के साथ, उन्हें स्थायी रूप से हमारे निर्धारित सामाजिक आयामों एवं भावी सामाजिक कार्ययोजनाओं में, पुख्ता स्वरूप के साथ जोड़ा जा सके।
अन्याय कहीं भी हो वह माँ जगदम्बा एवं ईश्वर की दृष्टि से परे नहीं हो सकता है ऐसे में हमें, हमारे ईमान और जवाबदेहियों को संयमित रखना चाहिये।
हम समस्त परिवारिक रूप से, आपस में सभी बधुओं से जुड़े है। जिन लोगों की अपनी निजी जिम्मेदारियां है वह लोग अपने निर्णयों एवं कार्यो के लिए पूर्णतः स्वतंत्र है। 
भारत देश कानून से संचालित है। न्याय यहाँ की सर्वोच्च प्राथमिक में है।
आप सभी को ध्यान में होगा कि, पूर्व की ऐसी अन्य परिस्थितियों में, हमारे समाज की तरफ से कानूनी और सामाजिक प्रतिफल, दोनों प्रकार के दृष्टांत, हमारे सामने रहे है। ऐसे में, संबंधित निजी परिवारों को जो ठीक लगे, वह, वे तय करें। शेष हम सभी माँ जगदम्बा के साथ है।
आगे से, आवश्यकता है हमें, हमारे अपने मनुष्य जीवन और चारण वर्ण के देवतुल्य कहलाये जाने के मूल्यों को पुनर्स्थापित कर, अपने समस्त परिवारिक सदस्यगणों की अनिवार्य रूप से सुरक्षा और सम्मान को सुनिश्चित किये जाने की ताकि हम आचरण से चारण बने रहें।
*विशेष : हम सभी को आनन्दित, सम्मानित और गौरवान्वित करने के क्रम में एक कार्ययोजना निर्धारित है…तब तक अगली पोस्ट का इंतजार कीजियेगा।*
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आपका स्नेही,
*करणीदान चारण पूगल*
*+919929263851*

By admin

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