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धन्य सुन्दर तण धिवड़ी, निज उण जांमा नाम।
हड़वेची जल अमर हुइ, कर सुकरत भल काम।(1)
जाती तणा किया जतन, गाल सती धन गात ।
पात देथो  अमर पती, मीठड़ियै वण मात।(2)
मीठड़ियै माता सगत सुहाता, वर्ण विधाता विख्याता।
पांथव सुख पाता गुण जस गाता, परम पुजाता प्रख्याता।
गढवां रा गांमा ,हर्ष हमांमा, घणी खम्मा मां घर अम्बा।
समरै जिण सांमा अणद अमांमा ,जय मां जांमा जगतम्बा ।(3)
देथा कुल दाया चारण चाया, ओपर थाया अंजसाया।
पर्चा जन पाया सदा सहाया,मोद मनाया महमाया।
लै पक्ष लगामा दुष्ट दगामा, भांज भगामा भुजलम्बा।
समरै जिण सांमा अणंद अमांमा, जय मां जांमा जगतम्बा।(4)
संवत उगणेसा वरष विसेसा, परथम एसा प्रगटेसा।
चावा चहत्रेसा पद पख वेसा, मेट कलेसा मनरेसा।
तिथ बीज तमांमा धावत धांमा, कर शुभ कांमा करलम्बा।
समरे जिण सांमा अणद अमांमा, जय मां जांमा जगतम्बा।(5)
जांमा जगराई, सोख सराई, जमर ठाई जद माई।
हरिसिह हुलाई सोढ सहाई, धाट बधाई तो धाई।
नित लेजो नांमा मधुकर जांमा, धन दे धांमा, धरधम्बा।
समरै जिण सांमा अणद अमांमा, जय मां जांमा जगतम्बा।
जियै आवो ओपर मां अम्बा।(6)
सिंध हबोल जांमा सुजस, रोल सकल वंश रंध।
टोल तुरक दल मेटणी, ओल अकल रा अंध ।(7)

-कवि मधुकर माड़वा (भवरदानजी)

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