दरिया साकळो वेड़ो बोआरती पड़ी ती, इते दरिया री देरांणी आए अन बोली – लाडी आज वळे बजार गयी है?
दरिया लारे जोए अन बोली- बाई की करां ? अरजन वुए नां आज तीन महीणा ए को थेया है अन वींधणी तो महीणो थेयो है
तसे री तसे पी जाये बजार।
आज ए साकळी वेगी पी झीले,टीलड़ी चिपेड़े ,सतरंगी चूनड़ी ओढ़े जाए गाडी चड़ी। तांजो जेठ, हूँ, चेतन सेंग खसीज्या पण मांरी कोए री को मनी ।मां सेंगे समझाई के कम परिवार रो नाक वढाये ती, मिनां अन डोकरे नां तो मरण पा दे। मनख केड़े-केड़े वातां करे ता कयो क मिनां मांजा वेजाड़ा शहर मां
पढ़ाणा है , थानां खबर की है ।
किरशन ओथ ज धंधो करे तो, उए ए समझाई , इये रे आपरे माईतरे ए समझाई पण ही वट मने की कोए री ए। मरे! केड़ी ए किस्मत फूटोड़ी हती जिको छोकरो ए ग्यो अन माथे ए वऊआरी । तांजे जेठ अन मैं तो कई रो पा पाणी ए को विगाड्यो नीं। देरांणी दरिया री वात नां ज आगे बढाये कयो- बाई! वखत-वखत री वात है ,कळजुग आयो रो नि ताणे पेलके लुगाए छ छ महीणा खूणों को छोडते नीं।
दरिया लारे जोए अन बोली- बाई की करां ? अरजन वुए नां आज तीन महीणा ए को थेया है अन वींधणी तो महीणो थेयो है
तसे री तसे पी जाये बजार।
आज ए साकळी वेगी पी झीले,टीलड़ी चिपेड़े ,सतरंगी चूनड़ी ओढ़े जाए गाडी चड़ी। तांजो जेठ, हूँ, चेतन सेंग खसीज्या पण मांरी कोए री को मनी ।मां सेंगे समझाई के कम परिवार रो नाक वढाये ती, मिनां अन डोकरे नां तो मरण पा दे। मनख केड़े-केड़े वातां करे ता कयो क मिनां मांजा वेजाड़ा शहर मां
पढ़ाणा है , थानां खबर की है ।
किरशन ओथ ज धंधो करे तो, उए ए समझाई , इये रे आपरे माईतरे ए समझाई पण ही वट मने की कोए री ए। मरे! केड़ी ए किस्मत फूटोड़ी हती जिको छोकरो ए ग्यो अन माथे ए वऊआरी । तांजे जेठ अन मैं तो कई रो पा पाणी ए को विगाड्यो नीं। देरांणी दरिया री वात नां ज आगे बढाये कयो- बाई! वखत-वखत री वात है ,कळजुग आयो रो नि ताणे पेलके लुगाए छ छ महीणा खूणों को छोडते नीं।
बस मां सेंग ए सेंधे सवारे रेखा नां जोए पड्य। लुगाइयाँ अन छोइड़ा रे चपां माथे हेक ज वात-सतरंगी चूनड़ी अन टीलड़ी अन मेंहदी , दुहागण रे केड़ो सिंणगार। इये नां तो अरजन वुए रो आनो भार ए दुःख को है।आज कल री दुनिया मां कईं रियो ए को है। सीटां रे विच मां भीटा केक छोरा- छंडा आपरे हिसाब सां सोचे पड़या, ताड़े दे हसे पड़या।जिता मांडा उते वातां।
रेखा नां सेंग ठा पड़ती ती पण ओ आपरे धणी अरजन री कयोड़ी वातां मां मगन हती। अम अरजन रेखा सां तीन चार किताब वजतो पढोड़ो हतो पण ओ रेखा रो घणो ए मान राखतो। गाँव आळा घणा ए हसता अन वातां ठाता पण ओ अन रेखा भेळा बजार जाता ,बिने हॉटल मां हेकी थाळी मां रोटी खाता ,बस मां हेकी सीट माथे बेसे अन हेकुको इयरफोन लगाए गीत सुणता।धंधे माथे सां घरे आतो जदे रेखा रे मांगे मांगे मडां अन मिठाय ले आतो। आज जिको चूनड़ी रेखा रे पेरोड़ी है, रेखा रे ना करणे रे उपरांत ए इति मांगी चूनड़ी ले रो आयो तो। अरजन कहतो के इये चूनड़ी मां तूँ घणी ए फूठरी लागे ती ।
रेखा नां सेंग ठा पड़ती ती पण ओ आपरे धणी अरजन री कयोड़ी वातां मां मगन हती। अम अरजन रेखा सां तीन चार किताब वजतो पढोड़ो हतो पण ओ रेखा रो घणो ए मान राखतो। गाँव आळा घणा ए हसता अन वातां ठाता पण ओ अन रेखा भेळा बजार जाता ,बिने हॉटल मां हेकी थाळी मां रोटी खाता ,बस मां हेकी सीट माथे बेसे अन हेकुको इयरफोन लगाए गीत सुणता।धंधे माथे सां घरे आतो जदे रेखा रे मांगे मांगे मडां अन मिठाय ले आतो। आज जिको चूनड़ी रेखा रे पेरोड़ी है, रेखा रे ना करणे रे उपरांत ए इति मांगी चूनड़ी ले रो आयो तो। अरजन कहतो के इये चूनड़ी मां तूँ घणी ए फूठरी लागे ती ।
गाँव पूरे मां अरजन री साख हती ।कदे कोए नां कावळ बोल्यो नीं ,गलत संगती मां पड्यो नीं, नशो तो चा रो ए नीं। माइतरां री,मोटे भाई चेतन रे परिवार री, निढ़े भाई किरशन री घणी ए मान- मर्यादा राखतो। मनख कहता न के भगवान भले मनख नां छेको ले जासे, बुरे नां ले जाए किथो करे। पाली मां आपरी फेक्टरी सां कमरे आते टेम मोटर साइकल अन पिकअप री टक्कर मां अरजन खतम थेयो पो। पूरो घर रोए हेठो बेठो, मानखे रे सारे बिजो की है?
रेखा रे आपघात री ए मन मां आई पण उए नां अरजन रा ए आखर जाद हता क- आपां नां भलां हांळी भीचणों पड़े पण वेजाङां नां शहर री बड़िया स्कूल मां पढ़ाणां है, ओ तो जिंदगी मई कामयाब थे। अरजन रे इये सपने नां पूरो करण सारुं ज रेखा महीणे सां बजार रा गोता खाय पड़ी।
किथे सिलाई रो धंधो मिळे तो घर भाड़े माथे ले न छोकरिया पढाऊँ।आप ए आठ नओ किताब पढोड़ी हती।
माथे दी रा डोकरो चिमो जी आया।रेखा रा सासरिया अन चिमेजी रो परिवार चार पाँच पीड़ीये भाईपे मां है।चिमजी आए न चेतन नां पुछयो डोकरो पेमजी घरे ज है का आज ग्या पा डीसे? आज थेलियो सम्भाये घरां सां निकळया ता पण बिल्ली आग बोटे गयी जदे पछे आळसाणो करयो पो-खाट वणते चेतन उतर दीनो। चेतन पेरया भीटे छोकरिये नां हेलो करे कयो-अड़े मुकिया बा नां हेलो करे के बार हेला करे।छोकरिये निंयापो पुगतो करयो।
रेखा रे आपघात री ए मन मां आई पण उए नां अरजन रा ए आखर जाद हता क- आपां नां भलां हांळी भीचणों पड़े पण वेजाङां नां शहर री बड़िया स्कूल मां पढ़ाणां है, ओ तो जिंदगी मई कामयाब थे। अरजन रे इये सपने नां पूरो करण सारुं ज रेखा महीणे सां बजार रा गोता खाय पड़ी।
किथे सिलाई रो धंधो मिळे तो घर भाड़े माथे ले न छोकरिया पढाऊँ।आप ए आठ नओ किताब पढोड़ी हती।
माथे दी रा डोकरो चिमो जी आया।रेखा रा सासरिया अन चिमेजी रो परिवार चार पाँच पीड़ीये भाईपे मां है।चिमजी आए न चेतन नां पुछयो डोकरो पेमजी घरे ज है का आज ग्या पा डीसे? आज थेलियो सम्भाये घरां सां निकळया ता पण बिल्ली आग बोटे गयी जदे पछे आळसाणो करयो पो-खाट वणते चेतन उतर दीनो। चेतन पेरया भीटे छोकरिये नां हेलो करे कयो-अड़े मुकिया बा नां हेलो करे के बार हेला करे।छोकरिये निंयापो पुगतो करयो।
अड़े कुती!बाइयो छोड़े ती कंई,रोटी नांखी बीजी नांखी, हमे की ती मांगे-अम कये न डोकरो पेमजी खंगता खंगता बार आया। बार आये न चिमजी नां आओ कारो डीनो। खैर-सुख पूछे न चिमजी ए ओज वात चोळी – सिगळो
गाँव केङे -केङे वातां करे पङयो, वींधणी नां कईं समझाओ नीं। जात-समाज मां परिवार रो नाक वढीजे तो न। पेमजी डोकरो कईं नीं बोलया। उठते टेम लांबी सास ले अन इतो ज कयो- कंई नको कंई चिमजी , बस धूड़ धाणी अन राख पाणी।
गाँव केङे -केङे वातां करे पङयो, वींधणी नां कईं समझाओ नीं। जात-समाज मां परिवार रो नाक वढीजे तो न। पेमजी डोकरो कईं नीं बोलया। उठते टेम लांबी सास ले अन इतो ज कयो- कंई नको कंई चिमजी , बस धूड़ धाणी अन राख पाणी।
रातुके मे रे करे आज बजार मां रोड़ां माथे जेथ-तेथ कादो ए कादो। गांमा रे सवारे माताजीरे मंदर आळी नींबड़ी नीचा बेठे आपो-आप री बसां नां अडीके पड़ये। विच मां केक गवारणे सामान पड़ये वेचे।चारे पासे बसां रे हारुनां, गुलफी वेचण आळा री पुंपाड़ीयां री आवाज।अचानक, उगम री आंखियां माथे लारे सां आये केके हाथ राख्या।हाथां सां मेहँदी री वास आये पड़ी, बंगडे पेरोड़े।ऊगम विचार करयो के शहर मां एड़ी मसखरी करण आळी कयी है।ऊगी!ओळखी का ना?रेखा लारे सां बोली।इतो सुणते ऊगम सही करी।राजण थये अन पाछल फोरे कयो-अरे!रेखी,तूं केथ हती?पण इतो केते ए ऊएरे चेहरे सां खुशी री होलकी उडे गयी।ओ सोचण लागी के रेखा नां दुहागण थयी नां 3 महीणा थिया पा,पण ए तो फूटरी सतरंगी चूनड़ी,टीलड़ी अन मेंहदी लगाए बेठी है।ओ आँखे फाड़े-फाड़े रेखा समो जोए पड़ी।मन मां रेखा नां भूंडी-भली के पड़ी।
वातां-वातां मां बिने सहेले आपरे टाबरपणे समे ग्ये पे।रेखा बोली-डीठो आंपे थांरे ओतारे गुढ़ले रोहिड़े मां हींडते।ओ रोहिड़ो हेणां काके वाढयो पो-ऊगम विच मां बोली।रेखा नां इती उदास आज पेली वार ज देखी ती ऊगम।चोपट रमणा,जाळां मां पीलू चुगणा सेंग विचारा ग्या टाबरपण भेळा।हेक वार जाद है तें स्कूल मां ममती री ज्योमेटरी चोरी ती,पछे तांजी वाभी तिनां कूटी ती।काम तो रन सेंग तांजा थिया ता-ऊगम तणखले सां कान खोतरती बोली।वैसे रन आखर ऊगम रे मांडे सां अपाग मां निकळयो पो,पण ऊगम री आँखियां मां आँसू आया रा।रन आखर टाबरपणे मां मसखरी मां बोलते पड़ये पण आज इये आखर नां साकार थियोड़ो देखे न दोरो लागो।रेखा माठो-माठ बैठी रही,ए वताण सारूं जांणे मैं कईं सुणयो ए कोनी।
खासी देर तक बिने चुप रिये।पछे ऊगम बोली-मरे!जिका जाऊँ ऊआ तांजी ज वात,जिको भेळो थे एईज पूछे-तांजी सहेली अम की ती धूड़ खाये बे हाथां सां।हेकी जणी तो मिनां अम ए कयो के ए बजार आपरे देअर भेळी धूड़ खाण आए ती।ए सुणे रेखा रा कान चकरीज्या पा,अम लागो जांणे पगां नीचा जमीन हई कोनी।आप नां संभाळेे बोली-किरसनजी मांजे छोटे भाई जेड़ो है।मनख तो अम की रे की वातां करसे,केनां-केनां माठ कराऊँ।मिनां केण आळियाँ ना कये कदे थांरे आपरां गाभां मईं जोते करो।मांजो धणी ग्यो,इयेमां ए मांजो दोष है?ऊगम दिलासो देण सारूं बोली-रेखी बाई की करां,भगवान री करी थे,के मनख करी हुए तो मयार ए दियां।
रेखा री बस आई री।जाती ऊगम नां इतो ज कयो-वळे मिळसां जे जीवता रिया तो।बस मां रेखा ए सोचती रयी के धणी मरये पछे लुगाई रो जीवन नरक।जणो-जणो दबाए-ओ मते पेर,ओ मते ओढ,ओ मते खा,ओथ मते जा। बस खूणे मां बेसे अन जिंदगी नां मोईरे दे बाळ।जिके नां जिको जचे ओ पड़यो के।ईयेमां आपरा तन अजीज सेंगा सा आगे,वैरी थियोड़ा।अम रेखा अरजन ग्ये पछे दुख मां सूके गयी ती पण ओ आज जिती हारोड़ी कदे ए को हती।
वातां-वातां मां बिने सहेले आपरे टाबरपणे समे ग्ये पे।रेखा बोली-डीठो आंपे थांरे ओतारे गुढ़ले रोहिड़े मां हींडते।ओ रोहिड़ो हेणां काके वाढयो पो-ऊगम विच मां बोली।रेखा नां इती उदास आज पेली वार ज देखी ती ऊगम।चोपट रमणा,जाळां मां पीलू चुगणा सेंग विचारा ग्या टाबरपण भेळा।हेक वार जाद है तें स्कूल मां ममती री ज्योमेटरी चोरी ती,पछे तांजी वाभी तिनां कूटी ती।काम तो रन सेंग तांजा थिया ता-ऊगम तणखले सां कान खोतरती बोली।वैसे रन आखर ऊगम रे मांडे सां अपाग मां निकळयो पो,पण ऊगम री आँखियां मां आँसू आया रा।रन आखर टाबरपणे मां मसखरी मां बोलते पड़ये पण आज इये आखर नां साकार थियोड़ो देखे न दोरो लागो।रेखा माठो-माठ बैठी रही,ए वताण सारूं जांणे मैं कईं सुणयो ए कोनी।
खासी देर तक बिने चुप रिये।पछे ऊगम बोली-मरे!जिका जाऊँ ऊआ तांजी ज वात,जिको भेळो थे एईज पूछे-तांजी सहेली अम की ती धूड़ खाये बे हाथां सां।हेकी जणी तो मिनां अम ए कयो के ए बजार आपरे देअर भेळी धूड़ खाण आए ती।ए सुणे रेखा रा कान चकरीज्या पा,अम लागो जांणे पगां नीचा जमीन हई कोनी।आप नां संभाळेे बोली-किरसनजी मांजे छोटे भाई जेड़ो है।मनख तो अम की रे की वातां करसे,केनां-केनां माठ कराऊँ।मिनां केण आळियाँ ना कये कदे थांरे आपरां गाभां मईं जोते करो।मांजो धणी ग्यो,इयेमां ए मांजो दोष है?ऊगम दिलासो देण सारूं बोली-रेखी बाई की करां,भगवान री करी थे,के मनख करी हुए तो मयार ए दियां।
रेखा री बस आई री।जाती ऊगम नां इतो ज कयो-वळे मिळसां जे जीवता रिया तो।बस मां रेखा ए सोचती रयी के धणी मरये पछे लुगाई रो जीवन नरक।जणो-जणो दबाए-ओ मते पेर,ओ मते ओढ,ओ मते खा,ओथ मते जा। बस खूणे मां बेसे अन जिंदगी नां मोईरे दे बाळ।जिके नां जिको जचे ओ पड़यो के।ईयेमां आपरा तन अजीज सेंगा सा आगे,वैरी थियोड़ा।अम रेखा अरजन ग्ये पछे दुख मां सूके गयी ती पण ओ आज जिती हारोड़ी कदे ए को हती।
विरांढ री केसर आयी।केसर पूरे गांव री चालाक लुगाई।50 वरस लिया रा,पोतरा रमाड़या तो ए हेके-बीजे री आगी-पाछी छोडे ए नी।दरिया सां वात कढाण सारूं पेल आपरे घर री वात चालू करी-छोकरियो मूळियो रो आयो भोमिये री हींड मां जिको बे राते एड़ो दोरो तप आयो,शरीर पड़यो जगे भलां माथे रोटी सेके ल्यो।डाक्टरां गोढी ए ग्या पण ठीक नी थियो।नेठ पछे भीमे रे तळे आळी भोपी गोढी पूछायो हो जदे जाए अन आराम आयो।हमें केसर नां दरिया रे घर री वात पूछण री नैतिक छूट मिळी री।वींधणी दीसे ए कोती आज,का गयी?वायलो संभालती केसर पूछयो।काल तळे माथे नीचले पाड़े रे लुगाए वातां करते पड़ये ते पण मैं चित दीनी कोनी।दरिया पेल सों केसर माथे रीसे बळती।कदे रूपीये रो ए सामान उधार लाऊँ तो दिन मां दस वार पा मांगे,बीजा मनख बू रुपिया सैंकड़ो ब्याज ले तो केसर चार ले।पण वातां इये काचड़कूटी नां हर घर रे खपे।दरिया वजतो तो कईं को कयो, बस इतो ज कयो-मांरे पूरे घर री रोटी आक करी पी,भगवान जे इयेनां सुमत दे तो कईठा।
रेखा बस सां उतरे अन घरे आयी।दरिया वरसे पड़ी-आज चिमोजी ए मयार दे ग्या,केसर ए वीस वातां सुणाए गई।तूं मानां ऊँचो जोअण जम राखीस का ना?का कोईनां मारे पछे राजण थईस?हूँ केनां-केनां माठ कराऊँ,मनख अम जे कूड़े ठाए केसे तो पङया के। हूँ कईं भी करां मनखां रे बाप रो की तो जाए-रेखा रीसे बळे न कयो।दरिया कईं को बोली,बस अधराधी गाठ रे जम बुड़का करती जाए आसरे मां वळी।
खरा मोंधारा पड़या,मनखों रो माल घरे आए पड़यो,डोकरो पेमजी गांव समां ग्योड़ा हता,दरिया संज्या सारती पड़ी ती।अचानक, टाँके मां कईं खिरण री आवाज आयी।संज्या सारे न दरिया बार भीटोड़े पोतरिये नां कयो के बैटरी ले न जाए जोए टाँके मां बाल्टी खिरी का कोई छाळी-बकरियो खिरयो का,की थियो?छोकरिये टाँके माथे जाए अन कयो-माँ!टाँके मईं मम्मी री चूनड़ी तरे पड़ी।
-अमर आसिया, पार्वती तलाई