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Month: October 2017

खरी कमाई खाय – कवि मोहनसिंह रतनू

खोटा रूपया खावतो, जावे सीधो जेल। मिल जावे रज माजनो, बंश होय बिगड़ैल।।1 खोटा रूपया खावतो, लगे एसीबी लार। निश्चय जावे नौकरी, बिगड़ जाय घरबार।।2 खोटा रूपया खावतो, चित्त में…