धना गाम के गांगजी मालदे सोढा रा सोरठा खेतदान दोलाजी मीसण देदलाई कृत
कुळ हुकळ कचारियां, रजवट भूपत राण।
सोभे गंग सुजाण, मणधर सोढो मालदे।।1।।
सोभे गंग सुजाण, मणधर सोढो मालदे।।1।।
थाट कचेरी थाय, पाराकर पंचातिया।
सावज जेम सदाय, गांजै धन्ना गामियो।।2।।
सावज जेम सदाय, गांजै धन्ना गामियो।।2।।
छिलरिया छलकै घणा, जे जग केवत जाण।
छलकै नहीं सुजाण, मणधर गांगो मालदे।।3।।
छलकै नहीं सुजाण, मणधर गांगो मालदे।।3।।
डायो घणो देखाय, गुण नो भरयल गांगजी।
दूजो ना वै दाय, मणधर मळेयो मालदे।।4।।
दूजो ना वै दाय, मणधर मळेयो मालदे।।4।।
मोटप लै घण मोल, कुळ दीवो कचेरिये।
बोलै जिभ्या बोल, गंगधारां जिम गांगजी।।5।।
बोलै जिभ्या बोल, गंगधारां जिम गांगजी।।5।।
जस रै कारण जेह, मांगण नै मीठो मळे।
मोरां वाळो मेह, (एम)गुणियल वाळो गांगजी।।6।।
मोरां वाळो मेह, (एम)गुणियल वाळो गांगजी।।6।।
हेते पूरे हाम, माँगण नै हंसतो मळे।
धरपत धना गाम, गढवां वसीलो गांगजी।।7।।
धरपत धना गाम, गढवां वसीलो गांगजी।।7।।
गांगो गाहड़मल्ल, छोगो जे छत्रवट तणो।
पाको रूड़ी पल्ल, मणधर सोढो मालदे।।8।।
पाको रूड़ी पल्ल, मणधर सोढो मालदे।।8।।
गांगो गाहड़मल्ल, भलपण थी भरयो रहे।
पाको रूड़ी पल्ल, मणधर सोढो मालदे ।।9।।
पाको रूड़ी पल्ल, मणधर सोढो मालदे ।।9।।
अंजसे अमरकोट, रतोकोट अंजस रहयो।
मालाहर मन मोट, गढपण वखाणै गांगजी।।10।।
मालाहर मन मोट, गढपण वखाणै गांगजी।।10।।
त्राटा डगे तमाम, (जेनी)पाड़ां न होय पताळां ।
धरपत धना गाम, गिरवर डगे न गांगजी।।11।
धरपत धना गाम, गिरवर डगे न गांगजी।।11।
माता धन चहुवांण, वळे पिता धन वेरसी।
डाडो कुंभ दीवाण, जे घर जन्मयो गांगजी।।12।।
डाडो कुंभ दीवाण, जे घर जन्मयो गांगजी।।12।।
अकल जाण अनूप, गुण नो भरयल गांगजी।
रियाणां हंदो रूप, मणधर दीवो मालदे।।13।।
रियाणां हंदो रूप, मणधर दीवो मालदे।।13।।
दीवो कुळ दातार, जस लोभी गांगो जकै।
जीवो घणी जमार, मणधर सोढो मालदे।।14।।
जीवो घणी जमार, मणधर सोढो मालदे।।14।।
-संकलन एवं टँकन – संग्रामसिंह सोढा