।।करणी माता रो आवाहण गीत।।
।।गीत – साणोर।।
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अर्ज करां सांभळे आव शक्ति अंबे, गरज मुज पड़ी छे एथ गाढी ।
अठे मा आवजे रूप तुं आवड़ा,देवियां वडेरी देव दाढी।।—-1
जायबो प्रदेशां देश मे जेथ मां,दाखवां रक्षा कर तेथ देवी।म
नोरथ मांहरा पूर्ण कर मावड़ी सदेवा मेहासधु घणी सेवी।।—-2
थान देशनोक में थापणो थांहरो, मांहरो वशिलो तुज माता।
भीड़ कट सेवगां हवे तु भुजाळी ,विशाळी जाणती सर्व बातां।।——-3
दणकतो केहरी चड़े ने दाढाळी, चौदशां सायता करे चंडी।
भळेळे कुंडळा कांन मे भवानी, झळेळे हार रो तेज झुंडी।।——4
लोबड़ी शीश रे उपरां रखीजे,हाथ मे डम्मरू आव हाली।
झण्णके विछिया पांव मे झांझरा, वडाळी पांथुआ मात वाळी।।——5
त्रिशुळा हाथ मे खड़ग तुं तोलती,बोलती हुंकारा होय बेली।
क॔चवो हिरामण जड़ीने कसेलो,वसेली मुरधरां आव वेली।।——6
धमरोळ धुंपला जगाड़े धजाळी ,मायाळी भेळीयो ओढ माथे।
वाजड़ां ढोल रणतुर तु वजाड़े,सजाड़े जोगणी सर्व साथे।।——-7
किल्लोळां हास किवलास मे करंती,फरंती फुदड़ी चोज फेरा।
चोरासी चारणियुं नवेलख चंडियुं,डारणी डाहंता तणा डेरा।।——–8
सावळां चरज्जां गावती सगत्ती ,जगत्ती उपरां झुंड जामे।
अड़ेड़े उडती वाट तुं आकाशां,सळेळे खेचरी साम सामे।।——–9
जोधपुर उदेपुर बिकाणो जाहरो,वशीले थांहरे भूप ब्राजे।
केतरा करू वखाण किनीयाणी,आई किरत वधत घणी आजे।।—–’10
वदे जो करनला नाम थारो वड़ो,भुतड़ा प्रेतड़ा जाय भागी।
धरे जो थांहरो ध्यान दिल कर धरे,लळे जग तोहरे पाय लागी।।——11
एहड़ी वडी आई धरां उपरां,मुं पर वीस हथ धर माता।
धुरंधर काज सिद्ध करे मन धर्यो जे,उरांजे अमां पर विघ्न आतां।।——-12
दाणवां केतरा दुर्जनां दळे तुं,कडे कर म्हारा शुकज केतां।
आशरो एवां पर थांहरो अंबिका, जोराळी मेटजे दोष जेतां।।——-13
भुचरी सेवग्गां सद्दगा भाळ तुं,वेग आधार तुं गढवाड़ा।
जाहरा चारणां घरे तुं जनम ले,पवाड़े साड़ा त्रण तार पाड़ा।।—–14
दोय कर ने जोड़ने “खेतशी” दाखवे,अरज तुं सांभळे आव अंबा।
मेहासधु चारणां फतेह कर मावड़ी, लोवड़ी पसारे हाथ लंबा।।——-15