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Month: September 2017

मां मोगल मछराळ ~ मोहन सिंह रतनू

शीश नमाऊं शारदा, सुमरू देव सुण्डाळ। जस बरणूं जगतंब रो, मां मोगल मछराळ।।1 ओखा धर जनमी उमय, ईहग बरण उजाळ। तिहू लोकां तारण तरण, मां मोगल मछराळ।।2 आवे जद अबखी बखत,…

धवल उजवल मरुधरा – कवि मोहनसिंह रतनू

जिण भोम उपजे भीम सा भट, थपट भूमंड थरथडै। धड शीश पडियो लडे कमधज, झुण्ड रिपुदल कर झडे।। जुध काज मंगल गिणत जोधा, वीरवर विसवासरा। प्रचंड भारत दैश प्रबल, धवल…

चारण गुण ओर चारण कवियो का कर्तव्य वर्णन ​- कवि खूमदान बारहठ

चारण गुण ओर चारण कवियों का कर्तव्य वर्णन​ कृत:- कवि श्री खूमदानजी बारहठ दोहे​ चारण वर्ण चतुर है, वाका ब्रद बुलंद। ह्रदय विमल परहित करण, सज्जन स्वभाव सुखन्द।।(1) सत्य वक्ता…

ईश्वर की रंग बिरंगी विश्व रचना का वर्णन- कवि खूमदानजी बारहठ

ईश्वर की रंग बिरंगी विश्व रचना का वर्णन:- कृत- कवि खूमदानजी बारहठ दोहा भरया कोटि ब्रहमण्डों, विध-विध लीला विधान। रंग के के कुदरत रची, सोइया ते सुभान।। छंन्द जात डुमेला…

ईश्वर की गहन गति का वर्णन- कवि खूमदानजी बारहठ

ईश्वर की गहन गति का वर्णन दोहा गहन गति प्रभु की गिणो, वर्णे कोण वखाण। रहे अन्दर बाहर रमें, कैक रचे कमठाण।। छंद जात सारसी के के रचाना कमठाणा, जगत…

कवि कृपाराम जी खिडिया (बारहट)

कवि कृपाराम जी खिड़िया (बारहट) तत्कालीन मारवाड़ राज्य के खराड़ी गांव के निवासी जगराम जी के पुत्र थे। जगराम जी को कुचामण के शासक ठाकुर जालिम सिंह जी ने जसुरी…