सोढाण रा स्वतन्त्रता सैनानी
सिद्ध जिद्द सैनाणियां ,हद राखी हिंदवाण।
धड़ रहतां नह दी धरा ,सो धरती सोढाण।।1।।
गोरां रा दळ घेरिया,काळूझर कल्याण।
कायम राखी कीरती,सो धरती सोढाण।।2।।
मरसां तो मोटै मतै,कहे सोढ कल्याण।
दपट्यां गोरा डरपिया ,सो धरती सोढाण।।3।।
लाखीणै ‘माहव”कलै’,कै कीधा कल्याण।
भुरजाळा अरियां भिङ्या,सो धरती सोढाण।14
पटक फिरंगी पाड़िया,अंजस राखण आण।
कल्लै राखी कीरती,सो धरती सोढाण।।5।।
गुण जाणै जो जलम रा, नर जैड़ौ नानाण।
कल्लौ किनारौ नह करै,सो धरती सोढाण।।6।।
पगला धर नै पारकर, हक लड़िया हिंदवाण।
अरियां ऊपर उमड़िया,सो धरती सोढाण।।7।
कै गोरां नै पटकिया,घाल नरां घमसाण।
मर मिटिया झुकिया नहीं,सो धरती सोढाण।।8।।
धर वाल्हो वाल्हो धरम,रूपौ कोळी राण।
जीवत अँगुल जळाविया ,सो धरती सोढाण।।9।।
चूक न राखी ‘चूड़िये,’कर जतन कोळियाण।
भेद न दियौ फिरंगियां,सो धरती सोढाण।।10।।
मडै मोरचौ मांडियौ,भौ घालण अरियाण।
चौकस रहियौ तीन दिन, सो धरती सोढाण।।11।।
कौल निभायौ कोळियां,स्वामी राखण सान।
रूड़ाणी हा मारका, सो धरती सोढाण।।12।।
रण में राणै करणसी, गोरां काढी घाण।
सोढो लड़ियौ लोक हित,सो धरती सोढाण।।13।।
जामण तें भल जामियौ,रांगड़ रतन्न राण।
सोढां हंदौ सेहरौ,सो धरती सोढाण।।14।।
सैयद मार् यौ सिंध रौ,दीठौ सब दुनियाण।
‘रतनै’पाणी राखियौ,सो धरती सोढाण।।15।।
आजादी हित देस री,रतन हुवौ कुरबाण।
जोत जगाई जोर री,सो धरती सोढाण।।16।।
साथ दियो सिध मन भगू ,निज कुळ राखण सान।
सँगरासी सूभट भलौ,सो धरती सोढाण।।17।।
जगै’जलम नै नर ‘भगू”,गोरां हरयौ गुमान।
काळै पाणी उकरिया,सो धरती सोढाण।।18।।
आजादी हित अंजसियौ,देरावर दीवाण।
गढड़ै गौरव राखियौ,सो धरती सोढाण।।19।।
मैणाऊ मणधर हुवौ,निडर सोढ ‘सुलतान’।
कुरब राखियौ केलणां,सो धरती सोढाण।।2।।
मरदां कदै न मानियौ,फिरँगियौ फ़रमाण।
गांधी हुकमां हालिया,सो धरती सोढाण।।21।।
चल पड़ियौ ‘बगली”चुनौ’,गांघी रौ सुण ग्यान।
जोई ‘केले’ जेलड़ी,सो धरती सोढाण।।22।।
पथ पुरुषोतम पाळियौ,मिट्ठी राखण माण। ‘
देढो’ डटियौ देस हित,सो धरती सोढाण।।23।।
मरद कहूं ‘मथरौ’मुखी,नर निडर नीतिवान।
गौरव गढड़ै गूंजियौ,सो धरती सोढाण।।24।।
कृष्णानन्द स्वामी सधर,सागी सिंध सुजाण।
दुखड़ा सहग्या देस हित, सो धरती सोढाण।।25।।
सँग रहिया रैयत हितां, बण नै आगीवांण।
पर सेवा तन अरपियौ,सो धरती सोढाण।।26।।
आजादी री अलख में,नर डटियौ नाराण।
साख सुधारी स्वामियां,सो धरती सोढाण।।27।।
तेजू तापौ देस हित,दलितां रौ दीवाण।
‘भाडैसन्धे’भळकियौ,सो धरती सोढाण।।28।।
राखण इळा अखंड अग,जुद्ध लड़िया जवान।
पावन राखी पैठड़ी,सो धरती सोढाण।।29।।
गरज गुलामी मेट दी,आजादी आपाण।
धरा तणी ताकत वधी,सो धरती सोढाण।।30।।
-संग्रामसिंह सोढा सचियापुरा बज्जू