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पंथ विकट पाळो चलण, माथे अनड मुकाम।
हुकम करो हिंगळाज मां, हिये दरस री हाम॥1
मन मंदिर मँह मावडी, करता रोज मुकाम।
महर करो माजी हमें, हिये दरस री हाम॥2
अलख निरंजन री सखी, अनपूरण अभिराम।
धरा कोहला री धणी, हिये दरस री हाम॥3
शंकरनी शिव सहचरी, लोचन ललित ललाम।
गोचर वळे अगोचरी, हिये दरस री हाम॥4
डूंगर नद तट बेसणो, गढां मढां अर गाम।
घट घट वासी हिंगुला, हिये दरस री हाम॥5
हिन्दू मांने हिंगुला, नानी वळ इसलाम।
जग जननी सरवेस्वरी, हिये दरस री हाम॥6
निरत करत नटराज री, श्यामा थनें सलाम।
सकल कळा री स्वामिनी, हिये दरस री हाम॥7
नव नाथां पूजी थनें, जप जप आठों जाम।
हरख करे रख हिंगळा, हिये दरस री हाम॥7
मन रे बिठा विमान, मां नित मनें बुलावती।
निज बाळक जद जाण, बोलायां बातां बणै॥

~~डॉ. नरपतदान आसिया “वैतालिक”

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