🍀नाराच छंद🍀
शिवा! अनूपमेय! शक्ति! सांभवी! मनोहरी! ।
त्रिशूलिनी! भुजंग-कंकणा! , त्रिलोकसुंदरी।
सुभव्यभाल, केश-व्याल, माल -लाल, कंजनी।
भजामि मात हिंगल़ाज भक्त भीड भंजणी।।१।।
ध्वनि मृदंग ध्रंग ध्रंग चारू चंग बज्जही।
झमाल झांझ, औ पखाज, वेणु वाजती मही।
डमाल डाक डं डमाक राग तान रंजणी
भजामि मात हिंगल़ाज भक्त भीड भंजणी।।२
सुरूपराशि! मंदहासि! इंदु-पूर्ण-आनना!
विशाल लोचनी, कपोलदीर्ध, सिंह-वाहना!
ललामकर्णकुण्डला, सुरम्यगाल खंजनी।
भजामि मात हिंगलाज भक्त भीड भंजणी।।३
गल़े सुधार, हेम हार, रत्न मोक्तिकं मणी।
जरी जडाव कांचल़ी उतंग अंग ओढणी।
प्रवाल लाल ओष्ठ नैण कज्जलं सुअंजणी।
भजामि मात! हिंगलाज! भीड भक्त भंजणी।।४
नवं सुखंड, सप्तद्वीप, भोम आभ री धणी।
बिराजमान राजकोहलागिरीं खमा घणी!
गिराप्रचंडघोरगर्जणीमहाप्रभंजनी!
भजामि मात! हिंगल़ाज! भीड भक्त भंजणी।।५
करालकष्ट-कालकूट-सोखणी भवा! सती!
हणो ज धूर्त रक्तबीज धूम्र-अक्ष दुर्मति।
प्रचंड चंड -मुण्ड -झुण्ड दैत्य -दर्प गंजणी।
भजामि मात हिंगल़ाज भीड भक्त भंजणी।।६
करालरूपकालिका, तथैव श्री स्वरूपणी।
कृपाकदंब! अंब! शारदा सुग्यानरूपिणी।
स्वदास के मनोविकार मंजनी निमंजनी।
भजामि मात हिंगल़ाज भक्त भीड भंजणी।।७
अनूप होत आरती बजंत शंख झालरा।
उडे अबीर कंकु रंग मंदिरां गुलाल रा।
“जयो जयो “वदे “नपो”” नमो नमो” निरंजणी।
भजामि मात हिंगल़ाज भीड भक्त भंजणी।।८
©नरपत “वैतालिक”
