Thu. Nov 21st, 2024

Month: May 2017

माँ हिंगलाज का छंद – कवि अज्ञात

॥दोहा॥ आद भवानी ईसरी, मोर भवानी माय। कळा रचै अब कांमणी, रमै गिरंदां राय॥ 1 ॥ ॥छंद: नाराच॥ भमंक अंज काळ भंज सिंघ संज सज्जियै। झमंक झंझ ताळ खंज वीर…

हिंगल़ाज वंदना – डॉ. नरपत दान आसिया “वैतालिक”

🍀नाराच छंद🍀 शिवा! अनूपमेय! शक्ति! सांभवी! मनोहरी! । त्रिशूलिनी! भुजंग-कंकणा! , त्रिलोकसुंदरी। सुभव्यभाल, केश-व्याल, माल -लाल, कंजनी। भजामि मात हिंगल़ाज भक्त भीड भंजणी।।१।। ध्वनि मृदंग ध्रंग ध्रंग चारू चंग बज्जही।…